Haryana Dog Counting Order Teacher Protest News

आवारा कुत्तों की गिनती का आदेश बना विवाद की जड़, शिक्षकों का विरोध और सियासी तकरार तेज

चंडीगढ़/कैथल/रोहतक, 30 दिसंबर 2025:

हरियाणा में सरकारी स्कूलों और शैक्षणिक परिसरों से जुड़ा एक आदेश इन दिनों शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक प्राथमिकताओं को लेकर नई बहस छेड़ रहा है। कैथल जिले में 24 दिसंबर 2025 को जारी आदेश के तहत हर स्कूल में एक नोडल अधिकारी (शिक्षक) नियुक्त किया गया है, जिसकी जिम्मेदारी स्कूल परिसर में आवारा कुत्तों की गिनती, निगरानी और रिपोर्टिंग करने की बताई गई है।

प्रशासन का कहना है कि बीते समय में स्कूल परिसरों में आवारा कुत्तों से जुड़े हादसों की शिकायतें सामने आई हैं, जिसके चलते यह कदम छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया। आदेश में यह भी कहा गया है कि नोडल अधिकारी स्थानीय निकायों के साथ समन्वय कर समय रहते स्थिति की जानकारी साझा करेगा।

हालांकि, इस फैसले को लेकर शिक्षकों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। शिक्षकों का कहना है कि उनकी नियुक्ति बच्चों को पढ़ाने, मार्गदर्शन देने और शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए हुई है, न कि निगरानी या सुरक्षा जैसी जिम्मेदारियों के लिए। इसी के विरोध में कई जगह शिक्षक धरने पर बैठ गए हैं।

मामला केवल स्कूलों तक सीमित नहीं रहा। रोहतक स्थित महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी में भी प्रोफेसरों को कैंपस में आवारा कुत्तों की निगरानी की जिम्मेदारी दिए जाने की जानकारी सामने आई है, जिससे उच्च शिक्षा संस्थानों में भी असंतोष बढ़ा है।

इस मुद्दे पर सियासत भी तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी ने आदेश को लेकर भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि राज्य में पहले से ही 30 हजार से अधिक शिक्षक पद खाली पड़े हैं, कई स्कूल बिना स्थायी प्रधानाचार्य के चल रहे हैं, फिर भी गैर-शैक्षणिक काम थोपे जा रहे हैं।

“भाजपा सरकार देश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था को ख़त्म करना चाहती है, अध्यापकों की ड्यूटी बच्चों का जीवन सुधारना और उन्हें आगे बढ़ाना है, पशुओं की गिनती या निगरानी करना नहीं।”

— आम आदमी पार्टी नेता
AAP Leader Dog Duty Response

दिल्ली में भी हाल के दिनों में आवारा कुत्तों की गिनती को लेकर विवाद सामने आया था, हालांकि वहां सरकार ने स्पष्ट किया कि शिक्षकों को सीधे तौर पर ऐसी ड्यूटी नहीं दी गई थी। हरियाणा में यही तुलना अब बहस का अहम हिस्सा बन गई है।

शिक्षाविदों का मानना है कि छात्र सुरक्षा बेहद जरूरी है, लेकिन इसके लिए शिक्षकों की मूल भूमिका को प्रभावित करना लंबे समय में शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर सकता है। फिलहाल यह विवाद शिक्षा, सुरक्षा और नीति संतुलन से जुड़ा एक बड़ा सवाल बन गया है।

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